माँ ! मैं धन्य हुई। माँ ! मैं धन्य हुई।
ये जीवन जीना भी तो एक आदत ही है. तो कहीं ये प्रेम की भी तो आदत नहीं हो गई है हमें ! ये जीवन जीना भी तो एक आदत ही है. तो कहीं ये प्रेम की भी तो आदत नहीं हो गई है हम...
सारी पीड़ा को सहकर पल-पल मुस्कुराती हो वो केवल तुम ही हो माँ... सारी पीड़ा को सहकर पल-पल मुस्कुराती हो वो केवल तुम ही हो माँ...
तू है तो मैं हूँ तुझसे ही मेरा वजूद है माँ ! तू है तो मैं हूँ तुझसे ही मेरा वजूद है माँ !
मेरे खातिर जो माँ को छोड़ रहा कल वह मुझको भी छोड़ सकता है...! मेरे खातिर जो माँ को छोड़ रहा कल वह मुझको भी छोड़ सकता है...!
माँ संस्कार सिखाती है बुरे कर्म से बचाती है सत्य रहना उनका वचन है भला दूसरों का करना सिखाती है। माँ संस्कार सिखाती है बुरे कर्म से बचाती है सत्य रहना उनका वचन है भला दूसरों ...